मुंबई | 21 अक्टूबर 2025:
भारतीय सिनेमा जगत से एक दुखद खबर सामने आई है। मशहूर अभिनेता और हास्य कलाकार गोवर्धन असरानी (Asrani) का 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। उन्होंने मुंबई के जुहू स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
🎭 ‘शोले’ के जेलर से लेकर सैकड़ों यादगार किरदार
असरानी जी को भारतीय सिनेमा में उनकी शानदार कॉमिक टाइमिंग और यादगार किरदारों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 1975 की क्लासिक फिल्म ‘शोले’ में उनका “हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं” वाला डायलॉग आज भी दर्शकों के चेहरों पर मुस्कान ला देता है।
उन्होंने अपने करियर में 300 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया। हेरा फेरी, भूल भुलैया, छोटी सी बात, हम, मिलाप, चुपके चुपके जैसी फिल्मों में असरानी ने अपने बेहतरीन हास्य से दर्शकों के दिल जीत लिए।
🕊️ परिवार ने दी जानकारी – निजी रूप से हुआ अंतिम संस्कार
असरानी जी के परिवार ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि उनका अंतिम संस्कार मुंबई के सांताक्रूज़ श्मशान घाट में बेहद निजी रूप से किया गया। परिवार की इच्छा थी कि यह अनुष्ठान सार्वजनिक रूप से न किया जाए।
उनकी पत्नी मंजू असरानी ने भावुक होकर कहा, “उन्होंने जाते-जाते भी कहा था कि किसी को परेशान न किया जाए। वे हमेशा मुस्कान छोड़कर गए।”
💬 बॉलीवुड ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा —
“असरानी जी का निधन भारतीय सिनेमा के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने अपने अभिनय से दशकों तक दर्शकों का मनोरंजन किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।”
वहीं अभिनेता अक्षय कुमार ने लिखा —
“Speechless with grief… असरानी जी के साथ काम करना हमेशा एक यादगार अनुभव रहा। उनकी कॉमिक टाइमिंग अद्भुत थी।”
🌟 जीवन और करियर की झलक
गोवर्धन असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को जयपुर (राजस्थान) में हुआ था। उन्होंने पुणे के Film and Television Institute of India (FTII) से अभिनय की शिक्षा ली और 1967 में फिल्म हरे काँच की चूड़ियाँ से बॉलीवुड में कदम रखा।
पाँच दशकों तक फैले अपने करियर में असरानी ने न सिर्फ अभिनय किया बल्कि निर्देशन और पटकथा लेखन में भी योगदान दिया।
💫 हमेशा याद किए जाएंगे असरानी जी
असरानी जी ने यह साबित किया कि सिनेमा में हास्य भी कला का सबसे गहरा रूप होता है। वे केवल एक कॉमेडियन नहीं बल्कि अभिनय के सच्चे शिल्पी थे। उनका जाना हिंदी सिनेमा के स्वर्ण युग के एक अध्याय का अंत है।